''काव्य सरिता''
Friday 7 February 2014
कर लूँ !
थक चुकी हूँ
अब थोडा क़याम
कर लूँ !
किस्सा ज़िंदगी का
अब तमाम
कर लूँ !
चंद साँसों में
हसरत जो भी बांकी
वो अपने नाम
कर लूँ !
भटकती रही
उम्र भर यहाँ-वहाँ
अब थोडा आराम
कर लूँ !
—सुनीता
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